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Friday, 14 February 2025

महाकुंभ में आकर्षण का केंद्र बना नागालैंड टूरिज्म का पवेलियन


 

नागालैंड सरकार की इस पहल से पूर्वोत्तर के हजारों श्रद्धालु हो रहे है लाभान्वित 


W7s news,,गुवाहाटी 13 फरवरी। प्रयागराज में चल रहे दुनिया के सबसे बड़े महाकुंभ में नागालैंड का पवेलियन वहां पहुंचने वाले करोड़ों लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। नागालैंड सरकार के अंतर्गत नागालैंड टूरिज्म की ओर से बनाए गए इस पवेलियन का लाभ नागालैंड के लोगों को ही नहीं बल्कि समूचे पूर्वोत्तर वासियों को मिल रहा है, जो महाकुंभ में स्नान करने के लिए पहुंच रहे हैं। दरअसल प्रयागराज के सेक्टर 7 मैं नागालैंड सरकार की पहल पर एक विशाल पवेलियन बनाया गया है, जिसमें नागालैंड की कला, संस्कृति, खान-पान सहित राज्य के पर्यटन को बड़े ही सुंदर एवं व्यवस्थित तरीके से दर्शाया गया है। इतना ही नहीं नागालैंड सरकार ने अपने राज्य ही नहीं बल्कि समूचे पूर्वोत्तर वासियों के लिए एक खास पहल करते हुए अपने पवेलियन परिसर में ही धनश्री नामक विशाल कॉटेज का निर्माण किया है, जिसमें 50 से अधिक कमरे है। इनमें नागालैंड ही नहीं बल्कि पूर्वोत्तर राज्यों से पहुंचने वाले भक्तों के ठहरने हेतु संपूर्ण व्यवस्था की गई है। पिछले 40 दिनों की बात करें तो महाकुंभ मेले में पूर्वोत्तर से गए हजारों की संख्या में भक्त धनश्री कॉटेज में ठहर चुके हैं एवं वहां दी जा रही सेवाओं को काफी सराहा जा रहा है। नागालैंड सरकार के आग्रह पर धनश्री कॉटेज का निर्माण गुवाहाटी के जाने माने पेनटेस्टरा इवेंट के पार्टनर अंशुल गोयल, विष्णु धुत व अनिल बजाज द्वारा करवाया गया है, जिसे किसी फाइव स्टार होटल के कमरे से काम नहीं आकी जा सकती। क्योंकि विश्व के सबसे बड़े मेले में इस तरह की व्यवस्था उपलब्ध करना अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि की बात है। धनश्री कॉटेज प्री बुकिंग के आधार पर उपलब्ध है, जिसके लिए सुविधा अनुसार शुल्क रखा गया है। पूर्वोत्तर से जाने वाले भक्त वहां ठहर कर सेवाओं का लाभ ले सकते हैं। नागालैंड का पवेलियन व धनश्री कॉटेज महाकुंभ में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं के बीच न केवल आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। बल्कि अपने क्षेत्र के लोगों के लिए नागालैंड सरकार की और से की गई इस व्यवस्था की सभी जमकर तारीफ भी कर रहे हैं। इसके पीछे नागालैंड  सरकार व टूरिज्म विभाग का मुख्य उद्देश्य यह है कि महाकुंभ में देश-विदेश से पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को पूर्वोत्तर के इस राज्य की कला संस्कृति से अवगत कराना है।

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